मुश्किलें और आत्म-बलिदान की एक अद्वितीय कहानी में, 72 दिनों तक एक जंगल में बचे रहने वाले 16 लोगों की भयावह कहानी सामने आई है। इस घटना का मुख्य कारण एक हवाई जहाज़ क्रैश था, जिसमें उनके मित्रों ने अपनी जानें गंवा दी थीं।
इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे की शुरुआत एक असमान तंतु और हवाई जहाज़ के बीच में हुई टक्कर से हुई थी। जहाज़ में सवारी कर रहे यात्रीगण में शामिल थे जो सभी मित्र थे और एक अद्वितीय यात्रा के लिए रवाना हो रहे थे।
अदृश्य तंतु से मुकाबला करने के बावजूद, कुछ यात्री जहाज़ के बचते हुए हिस्से में अपने दोस्तों के शवों को पहचान पाए। उन्होंने इस कठिन स्थिति में भी आत्मनिर्भर रहकर एक अद्वितीय निर्णय किया – उन्होंने मृत दोस्तों के मांस को खाना शुरू कर दिया।
महीनों इंतजार करने के बाद भी जब कोई रेस्क्यू के लिए नहीं आया और बीमार लोग धीरे-धीरे मरने लगे तब बचे लोगों ने खुद ही मदद ढूंढने की सोची.
यह दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति 72 दिनों तक चली, जिनमें उन्हें बचाव की आशा नहीं थी। लेकिन उनकी आत्मबलिदानी प्रेरणा ने उन्हें जिंदा रहने की शक्ति दी। वे अपनी ज़िन्दगी को बचाने के लिए हर संभाव उपाय को अपना रहे और आख़िरकार उन्हें रेस्क्यू टीम ने खोजने में सफलता मिली।
इस कहानी ने दिखाया कि कठिनाइयों के बावजूद भी मानव आत्मा में अद्भुत साहस और आत्मविश्वास होता है, जिससे लोग असीमित संघर्षों का सामना कर सकते हैं।