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यूपीएससी की तैयारी के दौरान ‘प्लान बी’ तैयार रखें: पुलिस आयुक्त आशुतोष डुंबरे

ठाणे पुलिस कमिश्नर आशुतोष डुंबरे ने परीक्षार्थियों को दी सलाह, अध्ययन का समय निर्धारित करें और यूपीएससी की तैयारी करते समय एक ‘प्लान बी’ भी ज़रूर बनाएं।

मुंबई: प्रतियोगी परीक्षा देना एक बड़ा जोखिम का काम है. जिनका चयन हो उनकी तो चांदी लेकिन जिनका चयन नहीं हुआ तो उनके लिए बड़ा सवाल यह हो जाता है कि अब आगे क्या। इसलिए यूपीएससी की तैयारी करते समय ‘प्लान बी’ हमेशा तैयार रखें। ठाणे पुलिस कमिश्नर आशुतोष डुंबरे ने सलाह दी है कि यूपीएससी की तैयारी करते समय हाथ में एक नौकरी होना जरूरी है।

“मेरा जन्म पुणे के जुन्नार तालुका के एक छोटे से गाँव में हुआ था। मेरे माता-पिता दोनों जुन्नार में शिक्षक थे। मैंने नांदेड़ के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई के दौरान, मेरे पास एक छोटा व्यवसाय स्थापित करने या अमेरिका जाकर आगे की पढ़ाई का विकल्प था। लेकिन इन विकल्पों पर ज्यादा जोर नहीं दिया गया। मैं हमेशा से लोगों के लिए कुछ करना चाहता था। इसी को ध्यान में रखकर प्रतियोगी परीक्षा देने का निर्णय लिया। इसी बीच कॉलेज में मेरे एक प्रोफेसर भी यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। उनसे यूपीएससी सिलेबस के बारे में जानकारी ली और यूपीएससी सिलेबस की ओर रुख कर दिया।

काम हाथ में रखें

अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैं सहायक प्रोफेसर के रूप में संगमनेर के एक कॉलेज को ज्वाइन कर लिया। इस काम से मुझे यूपीएससी की पढ़ाई के लिए समय मिल जाता था। साथ ही शिक्षा क्षेत्र होने के कारण यूपीएससी की पढ़ाई में भी मदद मिल रही थी। कोई और काम करते समय पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। उस समय इंटरनेट नहीं था। ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालय नहीं हुआ करते थे।

मैं सहायक प्रोफेसर के रूप में काम करते समय मिले हुए सैलरी से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवश्यक किताबें और पत्रिकाएँ खरीदता था। पत्रिकाओं में सफल अधिकारियों के साक्षात्कार पढ़ा करते थे। उनसे यह जानकारी मिल रही थी कि कौन सी किताबें पढ़नी हैं और किसका अध्ययन कैसे करना है। यूपीएससी सिलेबस के लिए उनलोगों ने जिन किताबों का इस्तेमाल किया, हम वो किताबें खरीद कर पढ़ते थे। यूपीएससी की तैयारी करते समय मेरे माता-पिता का भरपूर सपोर्ट मिला।

पढ़ाई को ज्यादा समय दें

तैयारी में पढ़ाई को ज्यादा से ज्यादा समय दें। मैं दिन में कम से कम 12 से 14 घंटे पढ़ाई करता था। अक्सर 17 घंटे भी पढ़ाई को मिल जाते थे। यही कारण है कि मैं अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्रैक करने में सफल रहा।

हर क्षेत्र में तनाव मौजूद है। कुछ क्षेत्रों में कम है तो कुछ क्षेत्रों में बहुत अधिक है। इसलिए, जब भी प्रतियोगी परीक्षाओं की बात आती है तो तनाव आ जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की कोई गारंटी नहीं है। इसलिए प्रतियोगी परीक्षा देना एक बड़ा जोखिम भरा काम है। अगर चयन नहीं हुआ तो बड़ा सवाल यह है कि आगे क्या किया जाए। लेकिन हम इस तनाव को कैसे देखते हैं यह भी महत्वपूर्ण है।

इसी तरह, यूपीएससी की तैयारी करते समय हमेशा ‘प्लान बी’ तैयार रखें। यूपीएससी की तैयारी के लिए हाथ में नौकरी होना बहुत जरूरी है। आजकल इंटरनेट की दुनिया में बच्चों के लिए कई तरह के अवसर उपलब्ध हैं। आप लोगों के लिए, देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। लेकिन अगर आप प्रतियोगी परीक्षा में असफल हो जाते हैं तो आपको निराश नहीं होना चाहिए और विकल्प तलाशना चाहिए। इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करते रहना है। अगर आपको लगता है कि आप देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो आप कोई नया उद्योग शुरू करके अप्रत्यक्ष रूप से देश की मदद कर सकते हैं। आप युवाओं को नौकरी दे सकते हैं।

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