मुंबई: महाराष्ट्र राज्य विधानमंडल के मानसून सत्र का शुक्रवार को आखिरी दिन था। इस मौके पर मीरा भाईंदर की विधायिका गीता जैन ने शहर के कई अहम मुद्दे सदन के सामने रखे।
विधायिका जैन ने कहा, “शहर के कोली बंधुओं को बरसात के मौसम में 7 जून से 15 अगस्त तक मछली पकड़ने की अनुमति दी जाती है। लेकिन इस साल बिना किसी पूर्व सूचना के इन तारीखों को बदलकर 1 अगस्त से 15 अगस्त कर दिया गया है, जिससे कोली बंधुओं को तूफानी मौसम के कारण काफी नुकसान हो सकता है। इसलिए तारीखों में बदलाव की मांग की गई है।”
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विधायिका जैन ने उत्तन स्थित डंपिंग ग्राउंड और घनकचरा प्रबंधन के मुद्दे पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया, “यहां घनकचरा प्रबंधन प्रोजेक्ट के लिए 75 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी, जिसमें से केवल 7 एकड़ में ही घनकचरा प्रबंधन का काम चल रहा है। बाकी जगह पर झुग्गियों ने कब्जा कर लिया है, जिससे नागरिकों को भारी परेशानी हो रही है।”
घनकचरा प्रकल्प आवंटन मे भ्रष्टाचार का आरोप
उन्होंने आगे कहा, “अदालत ने घनकचरा प्रबंधन निकाय को आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं के मानदंडों के अनुसार कचरे को संसाधित करने के लिए कहा था। लेकिन संबंधित संस्था में तकनीक की कमी के कारण वे इस कचरे का प्रबंधन नहीं कर पाए और भ्रष्टाचार के जरिए उन्हें यह काम दे दिया गया।”
इसलिए मांग की गई है कि इस संस्था को दिया गया काम रद्द किया जाए और घनकचरा प्रबंधन उन्नत तकनीशियनों से नई संस्था के माध्यम से कराया जाए, ताकि नागरिकों को स्वास्थ्य समस्याओं से निजात मिल सके।
इन सभी मांगों पर सदन में सकारात्मक चर्चा हुई और विधायिका जैन ने उम्मीद जताई कि इससे मीरा भाईंदर के विकास को गति मिलेगी। उन्होंने कहा, “इन मुद्दों पर जल्द ही ठोस निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है ताकि शहरवासियों को राहत मिल सके।”
सदन में इस संबंध में तत्काल निर्णय की मांग की गयी। विधायिका गीता जैन की इस पहल से मीरा भाईंदर के नागरिकों को उम्मीद की नई किरण मिली है।