मीरा रोड: पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र मेहता, जिलाध्यक्ष किशोर शर्मा, महिला मोर्चा अध्यक्ष अनिता पाटील, पूर्व महापौर डिंपल मेहता, उपमहापौर हसमुख गहलोत, नगरसेवक और पार्टी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को विधायिका गीता जैन और एमएमआरडीए द्वारा नियुक्त ठेकेदार जे कुमार द्वारा 22 करोड़ रुपये की सड़क निर्माण की खराब गुणवत्ता के खिलाफ ‘गड्ढे भरो आंदोलन’ किया। यह आंदोलन मीरा भायंदर रोड पर पायाय्डे होटल के पास किया गया।
इसके बाद, मेहता ने एमबीएमसी के प्रमुख संजय श्रीपतराव काटकर से मिले और उन्हें एक पत्र लिखकर उसमें उल्लेख किया कि यह सड़क वर्ष 2022 में जे कुमार द्वारा बनाई गई थी, जिसके बारे में वर्तमान विधायक गीता भरत जैन ने आश्वासन दिया था कि यह सड़क 18 से 20 साल तक चलेगी। हालांकि, मीरा-भायंदर को मुंबई, ठाणे और वसई विरार से जोड़ने वाली यह मुख्य सड़क केवल 2 साल में गड्ढों के कारण क्षतिग्रस्त हो गई है। सड़क पर बड़े गड्ढों के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इसके अलावा, विधायक गीता जैन ने ठेकेदार को 24 घंटे के भीतर ब्लैकलिस्ट करने के लिए मुख्यमंत्री शिंदे को शिकायत पत्र दिया था। हालांकि, अब तक इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इसलिए, मेहता ने एमबीएमसी प्रमुख काटकर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ठेकेदार जे कुमार द्वारा की गई सड़क निर्माण की खराब गुणवत्ता के बारे में पत्र लिखने और ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की है।
मेहता ने कहा, “सड़क के इस अनुबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की संभावना है, इसलिए इसमें शामिल सार्वजनिक प्रतिनिधियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।”
एनसीपी ने इसे पब्लिसिटी स्टंट करार दिया
मिरा भायंदर शहर में सड़क की बदहाली और गढ्ढों को लेकर भाजपा नेताओं द्वारा किए आंदोलन को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने घड़ियाली आंसू के रूप में जनता को गुमराह करने वाला आंदोलन करार दिया है। एमएमआरडीए और महानगरपालिका के प्रशासक आयुक्त की रिपोर्टिंग प्रदेश सरकार को होती है। “आज भाजपा ने भ्रष्टाचार होने की पुष्टि की है, तो ये आंदोलन अपनी ही सरकार के खिलाफ किया हुआ आंदोलन है। हम मांग करते हैं कि शहर में सड़क को लेकर जो भ्रष्टाचारी हैं उनके खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबन करके जांच की जाए,” ऐसा विक्रम तारे पाटील ने कहा।
एनसीपी मीरा भायंदर के कार्याध्यक्ष गुलाम नबी फारुकी ने कहा, “शहर को लूटने वाली सरकार अपने ही नेताओं को आंदोलन के नाम से जनता को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रही है। यह पहली बार है कि सत्ता में बैठे लोग अपनी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।”