मीरा रोड: मीरा रोड के पहले बानी और पूर्व विधायक मुझफ्फर हुसैन के पिता हाजी नज़र हुसैन को मीरा रोड के पूनम सागर कब्रिस्तान में हजारों चाहने वालों की नम आंखों के सामने सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया। वह 90 वर्ष के थे।
हाजी नज़र हुसैन लंबे समय से बीमार चल रहे थे और मीरा रोड स्थित वॉकहार्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे, जहां उन्होंने गुरुवार की शाम को आखिरी साँस ली। उनकी मौत की खबर फैलते ही शहर में शोक की लहर दौड़ गई और चाहने वालों की भीड़ उनके बंगले नूर ए नज़र पर उमड़ पड़ी। लोगों को नियंत्रित करने के लिए कार्यकर्ताओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
हाजी नज़र हुसैन ने शहर में स्कूल, कॉलेज, क्लब, सुपर मार्केट के साथ-साथ उमराव अस्पताल (वर्तमान में वॉकहार्ट) का निर्माण किया था। उन्होंने महात्मा गांधी की सर्वधर्म समभाव की विचारधारा को अपनाते हुए शहर का सर्वांगीण विकास किया। उनके निधन से पूरे शहर में शोक की लहर है।
शुक्रवार को सुबह 10 बजे से उनके बंगले पर अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर रखा गया था। दोपहर 12 बजे उनका पार्थिव शरीर अल शम्स जामा मस्जिद में लाया गया। बाद नमाज़े जुम्मा, 2:30 बजे, उनकी नमाज़े जनाज़ा अल शम्स जामा मस्जिद में अदा की गई। जनाजे़ को कंधा देकर उनके बंगले तक लाया गया और फिर ट्रक में रख कर कब्रिस्तान तक ले जाया गया।
इस्लामिक पद्धति से सारे अहकाम पूरे करने के बाद, हाजी नज़र हुसैन को 3:35 बजे सुपुर्द-ए-ख़ाक पूनम सागर कब्रिस्तान में किया गया। हजारों की संख्या में उनके चाहने वालों ने नम आंखों से अपने आदर्श को विदा किया।
तुम सा ना कोई
शहर के विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, और पत्रकारिता क्षेत्र के मान्यवरों के साथ पुलिस और महानगरपालिका प्रशासन के अधिकारियों ने भी हाजी नज़र हुसैन का अंतिम दर्शन किया। जनाजे़ में स्थानिक लोगों के साथ-साथ महाराष्ट्र के कई बड़े नेताओं ने भी शिरकत की।
हाजी नज़र हुसैन ने वर्ष 1979 में मीरा रोड की नींव रखी थी। उनकी अद्वितीयता का प्रतीक यह है कि भूमि पूजन के लिए उन्होंने दो अलग विचारधारा के नेताओं – इंडियन मुस्लिम लीग के गुलाम महमूद बनातवाला और शिवसेना प्रमुख बाळासाहेब ठाकरे को आमंत्रित किया था। उनकी सेक्युलरिज्म इस बात से झलकती है कि, उन्होंने अपने बंगले के सामने वाली रोड का नाम किसी मुसलमान महापुरुषों के नाम पर नहीं बल्कि श्रीकांत धाडवे के नाम पर रखा.
हाजी नज़र हुसैन ने अपने पीछे एक हँसता-खेलता परिवार छोड़ गए हैं। उनकी पत्नी सय्यद नूरजहां (76), दो बेटे, तीन बेटियाँ और पोते-पोतियां, नाती-नवासी का एक बड़ा परिवार है। उनकी पत्नी सय्यद नूरजहां ने मीरा-भाईंदर शहर की उप महापौर पद को सुशोभित किया और शहर के विकास में उनका साथ दिया। उनके बेटे मुजफ्फर हुसैन भी इस पद के साथ-साथ दो बार महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य और महाराष्ट्र कॉंग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं।
इस बीच, मुज़फ्फर हुसैन ने बताया कि, दिवंगत की शोक सभा रविवार, 30 जून को शाम 5 से 7 बजे के बीच और उसके बाद मरहूम के ईसाले सवाब के लिए ताजि़याती मजलिस और कुरान खानी का आयोजन मीरा रोड स्थित उनके निवास स्थान नूर ए नज़र बंगला, नया नगर में किया गया है।