मीरा रोड: पुलिस ऑफिसर्स द्वारा लॉकअप में पुरुषों के एक ग्रुप को पीटते हुए दिखाने वाला एक वीडियो इस झूठे दावे के साथ ऑनलाइन वायरल हो रहा है कि ये राम मंदिर उद्घाटन से संबंधित मीरा रोड में हाल ही में हुए दंगों के लिए हिरासत में लिए गए आरोपियों का हैं।
आपका शहर ने अपनी तहक़ीक़ात में इस दावे को झूठा पाया है, वीडियो जून 2022 में उत्तर प्रदेश का है और मीरा रोड हिंसा से इसका कोई संबंध नहीं है।
अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कारण पूरे भारत में हिंसा की कम से कम छह घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें एक मीरा रोड भी शामिल है, जहां 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
यह पोस्ट इसी कैप्शन के साथ फेसबुक पर भी प्रसारित हो रही है।
तथ्यों की जांच
तथ्यों की जांच में आपका शहर ने पाया कि यह वीडियो जून 2022 का है जब उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा पिटाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
आपका शहर की टेक्निकल टीम ने गूगल पर वायरल वीडियो के कुछ स्क्रीनशॉट लेकर रिवर्स इमेज सर्च की और हमें 12 जून, 2022 को प्रकाशित एनडीटीवी की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट का शीर्षक था ‘वायरल वीडियो दिखाता है कि यूपी पुलिस प्रदर्शनकारियों को बेरहमी से पीट रही है’ और इसमें वायरल वीडियो के समान दृश्य थे।
विवरण के अनुसार, यूपी के भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने यह वीडियो साझा किया था, जिसमें पैगंबर मुहम्मद पर तत्कालीन भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के बाद पुलिस द्वारा लोगों को हिरासत में लेकर पीटा जा रहा था।
इसके बाद हमने शलभ त्रिपाठी की एक्स (तब ट्विटर) प्रोफाइल को स्कैन किया और पाया कि यह वीडियो 11 जून, 2022 को इस कैप्शन “दंगाइयों के लिए एक रिटर्न गिफ्ट” के साथ शेयर किया गया था।